Saturday, 11 February 2023

मंदिर से भी ज्यादा सोना मस्जिद में टच कर के पूरा पड़े

मुगल काल में मुहम्मद शाह (1719-1728) के शासनकाल में कोल के गवर्नर साबित खान ने 1724 में इसका निर्माण शुरू किया था। इसमें चार साल लगे और 1728 में मस्जिद बनकर तैयार हुई। मस्जिद में कुल 17 गुंबद हैं। मस्जिद के तीन द्वार हैं। इन दरवाजों पर दो गुंबद हैं। 17 गुंबद वाली यह जामा मस्जिद शहर के अपमार्केट एरिया में स्थित है, जहां एक साथ 5000 लोग नमाज अदा कर सकते हैं। महिलाओं के लिए यहां नमाज अदा करने की अलग व्यवस्था है। इसे शाहदरी (तीन दरवाजे) कहते हैं।


यह देश की संभवत: पहली ऐसी मस्जिद होगी, जहां शहीदों की कब्रें भी हैं। इसे गंज-ए-शहीदान (शहीदों की बस्ती) भी कहते हैं, तीन सदी पुरानी इस मस्जिद में कई पीढ़ियां नमाज अदा कर चुकी हैं। अनुमान है कि इस समय आठवीं पीढ़ी मस्जिद में नमाज पढ़ रही है।


290 साल पहले बनी इस जामा मस्जिद में आठवीं पीढ़ी नमाज पढ़ रही है। इसके गुंबदों में कई क्विंटल सोना लगाया गया है। यहां इस्तेमाल किए गए सोने की कुल मात्रा का अंदाजा किसी को नहीं है। [1] इस जामा मस्जिद की खास बात यह भी है कि जामा मस्जिद में 1857-गदर के 73 शहीदों की कब्रें हैं। भारतीय पुरातत्व विभाग ने भी कई साल पहले इस पर एक सर्वे किया था, यह अलीगढ़ की सबसे पुरानी और भव्य मस्जिदों में से एक है। इसे बनाने में 14 साल लगे थे। मस्जिद बलाई किले के शीर्ष पर स्थित है और यह स्थान शहर का सबसे ऊंचा स्थान है। इसकी स्थिति के कारण, इसे शहर के सभी स्थानों से देखा जा सकता है।


मस्जिद के अंदर छह स्थान हैं जहां लोग नमाज अदा कर सकते हैं। मस्जिद नवीनीकरण के कई चरणों से गुजरी और कई वास्तुशिल्प प्रभावों को दर्शाती है। सफेद गुंबददार संरचना और खूबसूरती से बने स्तंभ मुस्लिम कला और संस्कृति की विशेष विशेषताएं हैं।

 

No comments:

मुझे उम्मीद है ऐसी कहानी बहुतों के साथ हुआ होगा

         Puda Padoge To aankhe nam ho jayegi अपने बॉयफ्रेंड से पूछती है - "अच्छा, अगर मेरी किसी और से शादी हो जाए, तो तुम क्या करोगे?&q...