Saturday, 25 February 2023

बस यही मेरी औकात है इसी से बना और इसी मे मिल जाऊंगा

 

ये जो रिश्ता है मेरा मिट्टी से

रूप सारा है मेरा मिट्टी से

सब्ज़ा कहता है लूटे जाओ मुझे

दिल कुशादा है मेरा मिट्टी से

मैं सितारा नहीं हूँ सूरज हूँ

गहरा रिश्ता है मेरा मिट्टी से

मैं तो ख़ुद-रौ दरख़्त हूँ लेकिन

पेट भरता है मेरा मिट्टी से

मुतमइन हूँ कि फ़स्ल अच्छी है

सीना ठंडा है मेरा मिट्टी से

हर हवेली में दीप रौशन है

गाँव ज़िंदा है मेरा मिट्टी से

जो कहूँगा वो सच कहूँगा 'ख़लील'

क्यूँकि रिश्ता है मेरा मिट्टी से


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मुझे उम्मीद है ऐसी कहानी बहुतों के साथ हुआ होगा

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