Wednesday, 31 July 2024

शाहजहा और मुमताज

 

ये है शाहजहाँ और मुमताज की असली तस्वीर 

शाहजहाँ का अंडाकोष भी उसकी सकल के जैसे ही बहुत कलुआ था जबकी मुमताज बहुत गोरी थी !!

शाहजहाँ की सकल  👉 बकरे के बाल का बना हुआ शानदार चम चम चमकीला

आँखें 👉 मेंढक जैसी 

दांत भालू जैसे करके छोटे छोटे बच्चों को भयभीत करना" "और अपनी बेगम के सामने लिपिस्टिक और अपनी बेगम के कपड़े पहन कर मुजरा की कला में बहुत माहिर था इस चीज में इनका मुकाबला  मंगोली सुल्तान योद्धा भी नही कर सकता था 


इसने अनंत ब्रह्मांड का सबसे बास मारने वाला पाद मारा फिर अपने पाद पर खुद रिसर्च करके एक खास किस्म की ज़हर गैस बना ली थी जिसे मिसाइल में भर कर पहला परीक्षण 2025 में किया था जो कि पहले ही प्रयास में सफल रहा था। इसी लिए इन्हें दुनिया का पहला बैज्ञानिक माना जाता था उस समय जब दुनियां बनी ही नही थी।


 न्यूज़ ऐंकर डाई खाद के यूरिया न्यूज़ की रिपोर्ट की माने तो ये परम वीर महान कलुआ शाहजहाँ एक दिन में लगभग 175 बोरा यूरिया खाद खा लेते थे और सुबह शाम मिलाकर ये 5 बुग्गी खाद हग दिया करते थे। 

 

एक बहुत बड़े झूठे इतिहासकार रात में सपना देखकर सुबह लिखते है कि इनके मिसाइल की थ्योरी और प्रामान आज से 3 लाख साल पहले हुए मोहनपोदारो की खुदाई में मिली थी 


जिससे हैरान होकर उस जमाने के मौसम वैज्ञानिक मेढक मुंतसिर अपनी किताब "नाली की सफाई  कलुआ शाहजहाँ और उनकी लुगाई" में पृष्ठ संख्या 0 में लिखते है कि कैसे  कलुआ शाहजहाँ की हगाई के कारण इनके राज्य की उर्बरक शक्ति अन्य राज्य के मुकाबले 1 करोड़ गुना ज्यादा थी जिसके चलते राज्य की GDP विश्व मे पहले स्थान पर पहुच गई थी।


लेखक पुट्टी सीमेंट की माने तो इनका साम्राज्य लेटरिंग रूम से लेकर उसके गड्ढे तक फैला हुआ था और इनका किला जो लेटरिंग रूम से गड्ढे तक पाइप जाती है उसके बीचो बीच में एक आलीशान किला बना हुआ था। अपना ज्यादातर समय सुअर वीर नवाब कलुआ शाहजहाँ अपनी प्रिय प्रेमिका काली बकरी के साथ उसी महल में व्यतीत करते थे। उस समय इनकी बेगम लेटरिंग रूम के बंकर में सैनिको को युद्ध की कला सिखाती थी।


 कलुआ शाहजहाँ को पंचर जॉइंट खोज के लिए इन्हें  इंग्लैंड ने 100 जूतों का सम्मान दिया था। आज भी 100 जूतों के साथ सम्मान वाली इनकी पेंटिंग लंदन के मशहूर म्यूज़ियम फर्जी विलयंसन में रखा हुआ है। 


एक बार एक हिन्दू राजा के 1 करोड़ 125 लाख की विशालकाय फौज से सामना हुआ लेकिन ये तनिक भी भयभीत नही हुए क्योंकि इनके पास ऐसी मिसाइल थी जो एक सेकेंड में पूरी पृथ्वी तबाह कर सकती थी।

  कलुआ शाहजहाँ अपने गधे पर बैठकर युद्ध भूमि में पहुँच कर मिसाइल को पहुँचते ही लांच कर दिए लेकिन कुछ तकनीकी खराबी के चलते मिसाइल का सेंसर इनके पिछवाड़े पर सेट हो गया और इनका पिछवाड़ा मिसाइल को अपनी गुरुत्वाकर्षण सकती से अपनी तरफ खींच लिया, और मिसाइल सीधी इनके पिछवाड़े में घुस गई जिसके चलते इनको युद्ध हारना पड़ा।


अगर आज के समय मे  कलुआ शाहजहाँ होता तो चीन को मुता लेते, अमरीका को हगा देते, और रूस इनकी लाल लाल खून जैसी आंखे देखकर पादने लगता। और युद्ध रोक देता।


100 जूतों के साथ मैं नमन करती हूं महान कलुआ शाहजहाँ को 🙏

मुझे उम्मीद है ऐसी कहानी बहुतों के साथ हुआ होगा

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