Sunday, 28 May 2023

यह संसद देश की हर एक चीज हर एक का है


 लोकतंत्र का सम्मान करना सबको नहीं आता। यह तमीज की चीज होती है जो घर ,परिवार, संगठन में सिखाई जाती है।


स्कूल की प्रार्थना होती है तो सभी छात्र एक साथ खड़े होते हैं। वह शक्ति हमें दो दयानिधे , कर्तव्य मार्ग पर डट जाएं इसके दयानिधे तो किसी भी धर्म के हो सकते हैं।


हम रोज बरोज ट्रेन में बसों में सड़क पर कहां जान पाते हैं किनके कंधे हमें छू कर निकल रहे।


दुनिया की किस संसद में जहां लोकतंत्र हो इस तरह के वाहियात लोकतंत्र विरोधी कृत्य के साथ किसी किस्म का उद्घाटन हुआ होगा? मुझे तो नहीं लगता।


हम रेलवे की लाइन में लगते हैं तो अगर कोई मुस्लिम आगे खड़ा है तो हम उसे धक्का देकर आगे नहीं खड़ा हो जाते क्योंकि हम जानते हैं  देश उसका भी है।


यह संसद देश की हर एक चीज हर एक का है फिर यह सब जो आज हुआ वह क्या है?

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मुझे उम्मीद है ऐसी कहानी बहुतों के साथ हुआ होगा

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